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इळा॒ सर॑स्वती म॒ही ति॒स्रो दे॒वीर्म॑यो॒भुवः॑। ब॒र्हिः सी॑दन्त्व॒स्रिधः॑ ॥८॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

iḻā sarasvatī mahī tisro devīr mayobhuvaḥ | barhiḥ sīdantv asridhaḥ ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

इळा॑। सर॑स्वती। म॒ही। ति॒स्रः। दे॒वीः। म॒यः॒ऽभुवः॑। ब॒र्हिः। सी॒द॒न्तुः॒। अ॒स्रिधः॑ ॥८॥

ऋग्वेद » मण्डल:5» सूक्त:5» मन्त्र:8 | अष्टक:3» अध्याय:8» वर्ग:21» मन्त्र:3 | मण्डल:5» अनुवाक:1» मन्त्र:8


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे मनुष्यो ! जैसे (अस्रिधः) नहीं नाश करनेवाली (इळा) प्रशंसित विद्या (सरस्वती) वाणी (मही) भूमि (मयोभुवः) सुख को करानेवाली (तिस्रः) तीन (देवीः) श्रेष्ठ गुणवती (बर्हिः) उत्तम गृहाश्रम को (सीदन्तु) प्राप्त हों, वैसे ही आप लोग भी प्राप्त होओ ॥८॥
भावार्थभाषाः - हे स्त्री और पुरुषो ! आप लोग विद्या उत्तम प्रकार शिक्षित वाणी और भूमि के राज्य को सुख के लिये प्राप्त हूजिये ॥८॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

अन्वय:

हे मनुष्या ! यथाऽस्रिध इळा सरस्वती मही मयोभुवस्तिस्रो देवीर्बर्हिः सीदन्तु तथैव यूयमपि सीदत ॥८॥

पदार्थान्वयभाषाः - (इळा) प्रशंसिता विद्या (सरस्वती) वाक् (मही) भूमिः (तिस्रः) (देवीः) दिव्यगुणाः (मयोभुवः) सुखं भावुकाः (बर्हिः) उत्तमं गृहाश्रमम् (सीदन्तु) प्राप्नुवन्तु (अस्रिधः) अहिंस्राः ॥८॥
भावार्थभाषाः - हे स्त्रीपुरुषा ! यूयं विद्यां सुशिक्षितां वाचं भूमिराज्यं च सुखाय प्राप्नुत ॥८॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - हे स्त्री-पुरुषांनो तुम्ही सुखासाठी विद्या, सुशिक्षित वाणी व भूमीचे राज्य प्राप्त करा ॥ ८ ॥